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क्या हैं दुनिया के सबसे अजीब संयोग? जानिए रहस्यमयी घटनाओं के बारे में!

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दुनिया के अजीब संयोगों की कहानी

Duniya Ki Azab Gajab Ghatnaye 

Duniya Ki Azab Gajab Ghatnaye 

Duniya Ki Azab Gajab Ghatnaye: दुनिया में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमारी समझ से परे होती हैं। कभी-कभी कुछ घटनाएं इतनी समान और रहस्यमयी लगती हैं कि हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या यह सिर्फ 'संयोग' है या कोई अदृश्य शक्ति इन्हें संचालित कर रही है। ये इत्तेफ़ाक सामान्य संयोग नहीं होते, बल्कि इतिहास, विज्ञान और मानव सोच को चुनौती देने वाले रहस्यों में बदल जाते हैं।

इस लेख में हम दुनिया के सबसे चौंकाने वाले इत्तेफ़ाकों के बारे में जानेंगे, जिन्हें जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या यह कोई पूर्वनियोजित स्क्रिप्ट है?


लिंकन और कैनेडी - दो राष्ट्रपतियों के बीच समानताएं लिंकन और कैनेडी - दो राष्ट्रपतियों के बीच चौंकाने वाली समानता

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अमेरिका के दो प्रमुख राष्ट्रपतियों, अब्राहम लिंकन और जॉन एफ. कैनेडी के जीवन में कई समानताएं हैं जो लोगों को हैरान करती हैं। दिलचस्प बात यह है कि लिंकन को 1860 में और कैनेडी को 1960 में राष्ट्रपति चुना गया, यानी दोनों के चुनाव के बीच एक सदी का अंतर है। दोनों की हत्या शुक्रवार को हुई और गोली सिर में मारी गई। हत्या के समय उनकी पत्नियाँ भी उनके साथ थीं।

इन हत्याओं के बाद जिन नेताओं ने राष्ट्रपति पद संभाला, उनके नाम भी समान थे: एंड्रयू जॉनसन (जन्म: 1808) ने लिंकन की और लिंडन बी. जॉनसन (जन्म: 1908) ने कैनेडी की जगह ली। यह भी दिलचस्प है कि दोनों हत्यारे अमेरिका के दक्षिणी हिस्से से थे और उनके नामों में भी 15 अक्षर हैं। हालांकि यह दावा कि लिंकन की सचिव का नाम 'केनेडी' और कैनेडी की सचिव का नाम 'लिंकन' था, ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित नहीं है। फिर भी यह मिथक इस संयोग को और रहस्यमय बनाता है।

एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि लिंकन को वॉशिंगटन डी.सी. के फोर्ड थिएटर में गोली मारी गई थी जबकि कैनेडी को टेक्सास के डलास में फोर्ड कंपनी की 'लिंकन' कार में गोली मारी गई। इसके अलावा, लिंकन 1846 में और कैनेडी 1946 में पहली बार कांग्रेस के लिए चुने गए थे। अंततः दोनों हत्यारों को उनके अपराध के लिए अदालत में पेश होने का मौका नहीं मिला क्योंकि उन्हें पहले ही मार दिया गया था। इन सभी समानताओं का एक साथ होना इतिहास में एक रहस्यमयी अध्याय की तरह दर्ज है।


डबल लुइस्स - दो अनजाने जुड़वां डबल लुइस्स - दो अनजाने जुड़वां जो एक जैसे जिए

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1940 में अमेरिका के ओहायो राज्य में जन्मे जुड़वां भाई जेम्स लुईस और जेम्स स्प्रिंगर की जिंदगी में कई रहस्यमय संयोग थे। जन्म के तुरंत बाद दोनों को अलग-अलग परिवारों ने गोद लिया और दोनों परिवारों ने अनजाने में अपने बेटों का नाम 'जेम्स' रखा।

जब वर्षों बाद दोनों की ज़िंदगियों का मिलान किया गया, तो अद्भुत समानताएं सामने आईं। दोनों ने पहली शादी 'लिंडा' नाम की महिला से की और तलाक के बाद क्रमशः 'बेथ' और 'बेथी' नाम की महिलाओं से दोबारा विवाह किया। दोनों के बेटों का नाम भी 'जेम्स एलन' रखा गया, हालाँकि एक का नाम 'Alan' और दूसरे का 'Allan' था।

इतना ही नहीं, दोनों भाइयों ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की, लकड़ी का काम करने का शौक था और दोनों ने 'टॉय' नाम का कुत्ता पाला। इन असाधारण समानताओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या जीवन की कुछ घटनाएं पूर्वनिर्धारित होती हैं या यह सिर्फ एक संयोग की श्रृंखला थी।


टाइटैनिक की भविष्यवाणी टाइटैनिक की भविष्यवाणी - 14 साल पहले लिखी गई थी डूबने की कहानी

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1898 में लेखक मॉर्गन रॉबर्टसन ने अपनी नावेल 'Futility' (बाद में 'The Wreck of the Titan') में 'टाइटन' नामक एक विशाल जहाज की कल्पना की थी, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराकर डूब जाता है। यह कहानी 1912 में हुए टाइटैनिक हादसे से इतनी मेल खाती है कि लोगों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या यह एक भविष्यवाणी थी या सिर्फ एक अद्भुत संयोग? दोनों जहाजों को 'अडूबनीय' माना गया था, दोनों में पर्याप्त लाइफबोट नहीं थे, और दोनों की टक्कर रात में एक हिमखंड से हुई।

यहां तक कि दोनों के नाम भी मिलते-जुलते थे: 'टाइटन' और 'टाइटैनिक'। हालांकि रॉबर्टसन एक अनुभवी नाविक थे और उन्होंने उस समय के समुद्री यात्रा और जहाज निर्माण के रुझानों के आधार पर यह कथा रची थी। उस समय बड़े जहाजों का निर्माण 'अडूबनीय' जहाजों की धारणा और लाइफबोट की उपेक्षा के साथ किया जाता था। इसलिए इसे एक भविष्यवाणी नहीं बल्कि एक असाधारण संयोग माना जाना अधिक उचित है।


एंथनी हॉपकिंस और दुर्लभ किताब की वापसी एंथनी हॉपकिंस और दुर्लभ किताब की वापसी

एंथनी हॉपकिंस के साथ घटित 'The Girl from Petrovka' किताब की घटना फिल्म इतिहास के सबसे चौंकाने वाले संयोगों में से एक मानी जाती है। 1973 में जब हॉपकिंस को इसी नाम की फिल्म के लिए तैयारी करनी थी, उन्होंने किताब को पढ़ने की कोशिश की लेकिन लंदन के किसी भी बुकस्टोर में यह पुस्तक उपलब्ध नहीं थी। निराश होकर जब वे Leicester Square स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, तब उन्हें एक बेंच पर एक छोड़ी हुई किताब मिली, और वह किताब कोई और नहीं बल्कि 'The Girl from Petrovka' थी।

यह संयोग यहीं खत्म नहीं हुआ। कुछ समय बाद जब उनकी मुलाकात इस पुस्तक के लेखक जॉर्ज फाइफर से हुई, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी नोट्स से भरी एक निजी प्रति एक मित्र को दी थी, जो लंदन में कहीं खो गई थी। जब हॉपकिंस ने उन्हें वही प्रति दिखाई, तो फाइफर अवाक रह गए, क्योंकि वह उनकी ही किताब थी जिसमें उनके हाथ से लिखे नोट्स भी मौजूद थे। यह कोई रहस्यमय घटना नहीं बल्कि 'सिंकक्रोनिसिटी' या 'अर्थपूर्ण संयोग' का अद्भुत उदाहरण था।


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